मां विंध्यवासिनी देवी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है। मां विंध्यवासिनी देवी का मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। शक्तिपीठ होने के कारण, यह मंदिर तंत्र साधना और शक्ति पूजा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यहां लाखों श्रद्धालु हर साल दर्शन के लिए आते हैं। विंध्य पर्वत की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इन्हें विंध्यवासिनी कहा जाता है।
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शिवपुराण और अन्य शास्त्रों में इस शक्तिपीठ का उल्लेख मिलता है, जिसमें कहा गया है कि जहां अन्य शक्तिपीठों में देवी के अलग-अलग अंगों को देवी शक्ति के प्रतीक रूप में पूजा जाता है और कहीं भी आदिशक्ति पूर्ण रूप में विराजमान नहीं है, वहीं विंध्याचल ही ऐसा एक मात्र स्थान है जहां देवी शक्ति के पूर्ण रूप में दर्शन होते हैं अर्थात ऐसा माना जाता है की यहाँ आदिशक्ति का कोई अंग नही बल्कि सम्पूर्ण शरीर ही विराजमान है।
मां विंध्यवासिनी की कहानी
श्रीमद भगवत पुराण की कथा के अनुसार देवकी के आठवें गर्भ से जन्मे श्रीकृष्ण को वसुदेवजी ने कंस से बचाने के लिए रातोंरात यमुना नदी को पार करके गोकुल में नंद बाबा के घर पर पहुंचा दिया था तथा वहां पर यशोदा के गर्भ से पुत्री के रूप में जन्मीं आदि परा शक्ति योगमाया को चुपचाप वे मथुरा के जेल में ले आए थे।
बाद में जब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म का समाचार मिला तो वह कारागार में पहुंचा और उसने उस नवजात कन्या को पत्थर पर पटककर जैसे ही मारना चाहा, तो वह कन्या अचानक से कंस के हाथों से छूटकर आकाश में पहुंच गई और कंस कहा तू मुझे क्या मारेगा, तुझे मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है और माता ने अपना दिव्य स्वरूप प्रदर्शित करके कंस के वध की भविष्यवाणी की। अंत में भगवती माता विंध्याचल पर्वत पर चली गई। यहां विंध्याचल पर्वत में स्थित मां विंध्यवासिनी देवी के मंदिर में विराजमान हैं।
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विंध्याचल पर्वत की बात करें तो विंध्याचल किसी पर्वतमाला का नाम नहीं है बल्कि भारत की अनेक पर्वत मालाओं का सामूहिक नाम है, जिसमें सतपुड़ा पर्वतमाला भी शामिल है। यही पर्वतमाला भारत को उत्तर भारत और दक्षिण भारत में बढ़ती है।
विंध्य का अर्थ होता है शिकारी, जो आधारित है यहाँ शिकारी जनजातियों पर जो पहले कभी यह निवास किया करते थे। इसी विंध्याचल पर्वत को परा शक्ति योगमाया ने अपने निवास के लिए चुना। मां विंध्यवासिनी देवी को वनदुर्गा भी कहा जाता है, क्योंकि पूर्व काल में विंध्य क्षेत्र में घना जंगल था।
मां विंध्यवासिनी का मंदिर
उत्तर प्रदेश के विंध्याचल पर्वत पर मां विंध्यवासिनी देवी का भव्य मंदिर में विराजमान हैं। मां विंध्यवासिनी देवी के मंदिर में तीन देवियो महाकाली, महालक्ष्मी और माँ दुर्गा अर्थात माँ शक्ति की पूजा की जाती है तथा हर साल माँ महाकाली को बलि भी चढाई जाती है। मां विंध्यवासिनी देवी के मंदिर में देवी के अलावा गणेश जी, भोलेनाथ, कालभैरव, कृष्ण जी और अन्य देवी देवता भी विराजमान हैं।
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नवरात्रि के दौरान मां विंध्यवासिनी देवी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन के लिए आते हैं। इस दौरान भक्त देवी को फूल, फल, मिठाई और धूप चढ़ाते हैं। विंध्यवासिनी देवी से जुड़े कई चमत्कारों की कहानियां प्रचलित हैं। मान्यता है कि देवी अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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