अलोपी शंकरी शक्तिपीठ प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में माँ शक्ति के 51 शक्तिपीठो में से एक अलोपी देवी शक्तिपीठ है। यहाँ अलोपी देवी मंदिर में किसी देवी और देवता की मूर्ति नहीं है, बल्कि एक लकड़ी की डोली है, जिसे पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवी यहां अदृश्य होकर अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। यूं तो इस मंदिर में प्रतिदिन भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान तो यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

यदि आप रेल यात्रा द्वारा आलोपी देवी मंदिर पहुंचना चाहते हैं, तो प्रयागराज रेल के विशाल नेटवर्क द्वारा पूरे देश से जुड़ा हुआ है। भारत के कई बड़े शहरों से प्रयागराज के लिए प्रतिदिन ट्रेनें चलती हैं। आलोप देवी मंदिर के लिए प्रयागराज जंक्शन, नैनी रेलवे स्टेशन और अन्य रेलवे स्टेशन से टैक्सी तथा ऑटो उपलब्ध हैं। प्रयागराज रेलवे स्टेशन से आलोपी माता मंदिर की दूरी केवल 4 किलोमीटर है।
Read also: Kamakhya Temple: जानिए कौन है तंत्र की देवी “माँ कामाख्या”
आलोप शंकरी शक्तिपीठ की कहानी
भक्तों, पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सती माता ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव की निंदा सुनकर अपने प्राण त्याग दिए थे , तब उनके मृत शरीर को लेकर देवाधिदेव विघ्नेश्वर तांडव करने लगे। ऐसी स्थिति में भगवान शिव को शांत करने के दृष्टिकोण से श्री नारायण ने सुदर्शन चक्र से सती माता के शरीर को काट दिया। माता सती के शरीर के कटे हुए अंश 51 स्थान पर गिरे, जो शक्ति के 51 महापीठों के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं।

प्रयागराज में जिस स्थान पर माता सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरकर अदृश्य अर्थात आलोप हो गया था। उस स्थान पर इस शक्तिपीठ की स्थापना हुई। माता सती का शरीर आलोप हो जाने के कारण ही इस सिद्ध पीठ का नाम आलोप शंकरी पड़ा, जो भक्तों में आलोपी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

अलोपी माता मंदिर के गर्भ गृह में एक चबूतरा है, जिसके मध्य में एक कुंड है। इस कुंड के बारे में लोगों का विश्वास है कि इसी कुंड में माता सती का दाहिना हाथ गिरकर लुप्त हुआ था। कुंड के ऊपर लकड़ी का एक चौकोर पालना (डोली) रखी हुई है, जो रस्सी से लटकती हुई एक लाल चुनरी से ढकी रहती है। यहां आने वाले श्रद्धालु इस कुंड के पवित्र जल का आचमन करते हैं। कहा जाता है कि कुंड के पानी में देवी की कई चमत्कारी शक्तियां समाहित हैं।

नवरात्रि के पवन पर्व पर पूरे 9 दिन दूर-दूर से भक्तगण अलोपी देवी मंदिर में दर्शन पूजन के लिए आते हैं। कहा जाता है कि आलोपी माता मंदिर में पालने की पूजा करने और कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने वाले हर भक्त की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। यहां की परंपरा के अनुसार, जिन श्रद्धालु भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, वे आलोपी देवी माता के प्रांगण में विशेष पूजा अर्चना और भंडारा इत्यादि करवाते हैं।

अलोपी देवी मंदिर में दर्शन की कोई विशेष समय सीमा निर्धारित नहीं है। प्रातः 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक भक्तों की उपस्थित बनी रहती है। इसलिए आप जब यहां दर्शन करने आएं, तो इस समय अवधि का ध्यान अवश्य रखें।

यदि आप आलोपी देवी मंदिर के साथ-साथ प्रयागराज के अन्य पर्यटन स्थलों की यात्रा भी करना चाहते हैं, तो उसके लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा होता है। प्रयागराज विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल होने के कारण समूचे विश्व में प्रसिद्ध है।
Read also: Prayagraj Tourist Places: जानिए प्रयागराज के इन 8 प्रमुख मंदिरो के बारे में