City Palace Udaipur: उदयपुर का सिटी पैलेस कैसे घूमे, जानिए क्या है सिटी पैलेस का इतिहास

सिटी पैलेस उदयपुर का इतिहास| सिटी पैलेस उदयपुर की यात्रा गाइड| Travel Guide Of City Palace Udaipur

सिटी पैलेस उदयपुर: नमस्कार दोस्तों! अगर आप राजस्थान की खूबसूरत संस्कृति, इतिहास और शाही ठाठ-बाट का अनुभव करना चाहते हैं, तो उदयपुर का सिटी पैलेस (City Palace) आपके लिए एक बेहतरीन जगह है। यह महल न सिर्फ अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका इतिहास भी बेहद रोचक है। आइए, जानते हैं सिटी पैलेस उदयपुर के बारे में, और साथ ही इसे घूमने का सही तरीका!

City Palace Udaipur, सिटी पैलेस उदयपुर

सिटी पैलेस उदयपुर का इतिहास

सिटी पैलेस का निर्माण लगभग 400 साल पहले, महाराणा उदय सिंह ने 1559 में शुरू करवाया था। जब महाराणा उदय सिंह ने चित्तौड़गढ़ से अपनी राजधानी को उदयपुर शिफ्ट करने का निर्णय लिया, तो उन्होंने इस महल का निर्माण कराना शुरू किया। यह महल मेवाड़ के 22 राजाओं द्वारा 400 वर्षों में पूरी तरह बनवाया गया।

महल का निर्माण अरावली की पहाड़ियों के ऊपर हुआ है, और इसे बहुत रणनीतिक तरीके से इस स्थान पर बनाया गया था क्योंकि यह जगह मुगलों से सुरक्षा के लिए आदर्श मानी जाती थी। महल के चारों ओर पिछोला झील, घने जंगल और ऊंची पहाड़ियां हैं, जो इसे एक सुरक्षित स्थान बनाते है। इतना ही नहीं, महल के अंदर की डिज़ाइन भी काफी जटिल और भूल-भुलैया की तरह है, जिससे दुश्मन अगर महल के अंदर आ भी जाता, तो वह अंदर जाने में पूरी तरह से कंफ्यूज़ हो जाता।

City Palace Tour Guide

सिटी पैलेस के अंदर जाने के लिए कई गेट्स हैं, जैसे हाथी पोल, त्रिपोलिया पोल, बड़ी पोल, और दरी खाना की पोल। इन गेट्स में प्रवेश करते ही आपको गणेश जी, लक्ष्मी जी, और श्रीनाथ जी की मूर्तियाँ दिखाई देंगी। महल में हल्दी घाटी क्षेत्र भी है, जहां 1576 में अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुए युद्ध से संबंधित अवशेष भी रखे गए हैं।

सिटी पैलेस के भीतर महाराणा प्रताप के शस्त्र भी रखे गए हैं, जिनमें उनकी तलवार, ढाल, तेर और अन्य हथियार शामिल हैं। ऐसा कहा जाता है। इन हथियारों का वजन लगभग 35 किलो है, और महाराणा प्रताप युद्ध के समय इन्हे अपने साथ रखते थे।

महल के भीतर प्रेम गिरी गोस्वामी जी का मंदिर है। इस मंदिर को प्रेम गिरी गोस्वामी जी के आशीर्वाद से जुड़ा माना जाता है। वे महात्मा थे जिन्होंने महल बनाने की सलाह दी थी और उनके आशीर्वाद से महल पर कभी कोई आक्रमण नहीं हुआ। महल में एक लखुआ कुण्ड है, जिसमें पुराने समय में 1 लाख चांदी के सिक्के रखे जाते थे। यह एक प्रकार से राजाओं के राज तिलक की परंपरा से जुड़ा था।

कांच का शीश महल यहाँ का प्रमुख आकर्षण है, जिसे पूरी तरह कांच से सजाया गया है। यहाँ की दीवारें, छत, और फर्श सभी कांच से बने हैं और यह राजा-रानी का बेडरूम हुआ करता था। इस महल में दो प्रमुख सभागार हैं, दीवाने आम (जहाँ राजा आम लोगों की समस्याएँ सुनते थे) और दीवाने खास (जहाँ राजा अपने मंत्रियों से बातचीत करते थे)।

महल के अंदर सुंदर बगीचों और स्विमिंग पूल का निर्माण भी किया गया था, जो उस समय के आर्किटेक्ट्स की कुशलता का प्रमाण हैं। महल के ऊपरी हिस्से पर कई शानदार पेड़ उगाए गए हैं, जिनकी जड़ें पहाड़ी में समाई हुई हैं। सिटी पैलेस में कई गुप्त रास्ते और सुरंगें हैं, जिनका उपयोग समय-समय पर सुरक्षा के लिए किया जाता था। इन रास्तों के जरिए महल के लोग बिना किसी को बताए किसी भी स्थिति से बाहर निकल सकते थे।

city palace udaipur entry fee and timings

भारतीय नागरिकों के लिए ₹300 और 7 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए ₹100 का टिकट है। 7 साल से छोटे बच्चों के लिए प्रवेश निशुल्क है। सिटी पैलेस रोज़ सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। वही विदेशी नागरिको के लिए ₹1000 और 7 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए ₹500 का टिकट है।

उदयपुर का सिटी पैलेस सिर्फ एक महल नहीं, बल्कि यह मेवाड़ साम्राज्य की शाही विरासत का प्रतीक है। यहां की हर दीवार, हर कक्ष और हर गलियारा आपको एक शाही अनुभव देता है, जो राजस्थान के इतिहास और संस्कृति को जीवित रखता है। तो जब आप उदयपुर जाएं, तो सिटी पैलेस को जरूर घूमे।

यह भी पढ़ें: Jaisalmer Fort: जानिए क्यों प्रसिद्ध है जैसलमेर किला और कैसे रखा गया जैसलमेर शहर का नाम

Scroll to Top